कैसे टूटेगी चीन की दीवार? 70 फीसदी स्मार्टफोन बाजार पर चीनी कंपनियों का कब्जा

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वित्त वर्ष 2022 की अप्रैल-जून तिमाही में भारत में कुल 3.5 करोड़ फोन की खरीद 70 फीसदी हिस्से पर चीनी कंपनियों का नियंत्रण

वित्त वर्ष 2022 की अप्रैल-जून तिमाही में भारत में कुल 3.5 करोड़ फोन की खरीद 70 फीसदी हिस्से पर चीनी कंपनियों का नियंत्रण 

66.3 फीसदी हिस्सा केवल चार कंपनियों (शाओमी, रियलमी, वीवो और ओप्पो) के बीच बंटा हुआ है।

66.3 फीसदी हिस्सा केवल चार कंपनियों (शाओमी, रियलमी, वीवो और ओप्पो) के बीच बंटा हुआ है। 

कुछ समय पहले भारतीय बाजार में कार्बन, इंटेक्स, लावा और कई अन्य कंपनियां मजबूती से काम कर रही थीं, लेकिन तकनीकी ज्ञान की कमी और पूंजी की कमी के कारण वे चीनी कंपनियों के सामने टिक नहीं पाईं

भारतीय बाजार में शाओमी सबसे सफल चीनी ब्रांड बना हुआ है। कंपनी का स्मार्टफोन बाजार में हिस्सेदारी 20.4 फीसदी थी।

रियलमी की बाजार हिस्सेदारी 61 लाख स्मार्टफोन की बिक्री के साथ 17.59 फीसदी, वीवो की 59 लाख

रियलमी की बाजार हिस्सेदारी 61 लाख स्मार्टफोन की बिक्री के साथ 17.59 फीसदी, वीवो की 59 लाख  

स्मार्टफोन बिक्री के साथ 16.9 फीसदी और 40 लाख स्मार्टफोन की बिक्री के साथ ओप्पो की हिस्सेदारी 11.59 फीसदी थी।

स्मार्टफोन बिक्री के साथ 16.9 फीसदी और 40 लाख स्मार्टफोन की बिक्री के साथ ओप्पो की हिस्सेदारी 11.59 फीसदी थी। 

57 लाख स्मार्टफोन बिक्री के साथ सैमसंग की बाजार में हिस्सेदारी चौथे स्थान पर खिसक चुकी है। कंपनी की हिस्सेदारी भारतीय स्मार्टफोन मार्केट में केवल 16.3 प्रतिशत रह गई है।

सोनी, नोकिया और एलजी जैसे सभी अन्य ब्रांड मिलाकर केवल 17.4 प्रतिशत बाजार पर पकड़ बनाए हुए हैं।  

सोनी, नोकिया और एलजी जैसे सभी अन्य ब्रांड मिलाकर केवल 17.4 प्रतिशत बाजार पर पकड़ बनाए हुए हैं।   

स्मार्टफोन की बिक्री में औसत मूल्य में लगभग 15 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है और अब यह 17 हजार रुपये की सीमा को भी पार कर गया है।

भारतीय स्मार्टफोन बाजार में अभी भी सबसे ज्यादा (करीब 60 फीसदी) हिस्सेदारी आठ हजार से 16 हजार रुपये तक के स्मार्टफोन की बनी हुई है।

भारतीय स्मार्टफोन बाजार में अभी भी सबसे ज्यादा (करीब 60 फीसदी) हिस्सेदारी आठ हजार से 16 हजार रुपये तक के स्मार्टफोन की बनी हुई है।