म्यूच्यूअल फंड्स में होने बाली मिस्टेक्स : मिस्टेक्स करने से कैसे बचें और लाखों बचाएं !
निवेश करना एक अच्छा कदम है पर इसे सिस्टेमेटिक करना होता है। अगर आपने इसमें होने वाली गलतियों को नहीं सुधारा तो आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। मार्केट में उतार-चड़ाव दोनों ही चलते रहते हैं, लेकिन ऐसे में आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि मार्किट की अस्थरिता से फण्ड को कैसे रिस्कफ्री करायें। इक्विटी में इन्वेस्ट करने वालों को इसमें ज्यादा ध्यान रखने की जरुरत होती है। इस आर्टिकल में हम ऐसे ही अस्थिरता के बारे में चर्चा करेंगे और उसके उपायों को बताएँगे।
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कौनसी हैं म्यूच्यूअल फंड्स मिस्टेक्स ?
इन्वेस्टमेंट पैसों को काम पर लगाने का एक अच्छा सोर्स है। फण्ड इन्वेस्टमेंट का अच्छा जरिया है, जिससे उससे काफी मुनाफा होता है। इन्वेस्टमेंट और मुनाफा करने के लिए कुछ बातों का हमें ध्यान में रखना होता है, वरना इन्वेस्टमेंट में नुकसान भी हो सकता है।
बिना जानकारी लिए इन्वेस्ट करना
कुछ लोग बिना सोचे समझे एक साथ कई म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट कर देते हैं। उन्हें उन कंपनी के बारे में कुछ पता नहीं होता। उनको इन्वेस्ट करने से मतलब होता है और वो सोचते है कि अब उनका फ्यूचर अच्छा हो गया।
पर ऐसा नहीं होता क्योंकि आपने उस जगह इन्वेस्ट कर दिया जिसमे आपको पता ही नहीं की वो कंपनी फ्यूचर में कैसा परफॉरमेंस देगी। उनको एवरेज रिटर्न ही मिल पाता है, क्योंकि उन म्यूच्यूअल फंड्स में से कुछ अच्छा करेंगी। कुछ बेकार करेंगी या ऐसा भी हो सकता है कि सारे फंड्स बेकार परफॉरमेंस दें। म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट करने से पहले आपको सिस्टेमेटिक प्लान के अनुरूप इन्वेस्ट करना चाहिए।
म्यूच्यूअल फंड्स में NAV के हिसाब से इन्वेस्ट करना
कुछ लोग NAV (NET ASSET VALUE) को देखकर इन्वेस्ट कर देते है। ऐसे लोग समझते हैं कि जिनका NAV कम है तो वो अच्छा रिटर्न वाला म्यूच्यूअल फण्ड होगा। क्योंकि उसमें हम ज्यादा यूनिट खरीद सकते हैं। ऐसा सोचना बिलकुल गलत है क्योंकि ये बात हमेशा सही नहीं बैठती।
मान लीजिये राम ने 100 यूनिट खरीदी जिसकी NAV 100 रूपये थी जो उसे 10000 रूपये में पड़ी। वहीँ दूसरी ओर रहीम ने भी 1000 यूनिट खरीदी जिसकी NAV 10 रूपये थी जो उसे 10000 रूपये लागत रही। अगले साल राम की NAV 150 रूपये हो गयी और रहीम की NAV 15 रूपये हो गयी। दोनों की कुल वैल्यू 15000 रूपये ही रही। इसका मतलब NAV का इन्वेस्टमेंट पर कोई असर न पड़ा।
किसी एक सेक्टर में पैसा इन्वेस्ट करना
कुछ इन्वेस्टर्स सिर्फ एक ही सेक्टर पूरा पैसा लगा देते हैं, मुनाफे के बारे में सोचते हैं जैसे – बैंकिंग, फार्मा, एग्रीकल्चर, आईटी इत्यादि। अब एक सी सेक्टर में पैसा लगाने से आपकी इनकम की लिमिट बहुत लिमिटेड हो जाती है। ऐसे सेक्टर कभी अच्छा करते है और कभी बुरा।
ऐसे में लॉन्ग टर्म देखा जाए तो इससे होने वाला मुनाफा बहुत लिमिटेड हो जाता है। इसलिए सभी इन्वेस्टर्स को अपने पोर्टफोलियो के हिसाब से वो भिन्नता नहीं मिलती जिससे वो ज्यादा मुनाफा कमा सके। इन्वेस्टर्स को सभी सेक्टर्स में अपना पैसा लगाना चाहिए अपने पोर्टफोलियो के हिसाब से। जिससे उनका पैसा और रिस्क बैलेंस में रहता है और वो अच्छा मुनाफा भी कमाते हैं।
म्यूच्यूअल फण्ड को जल्दी बेचना
नए इन्वेस्टर्स जिन्हे ज्यादा जानकारी नहीं होती है वो ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में म्यूच्यूअल फण्ड को जल्दी-जल्दी सेल आउट कर देते हैं। वो लोग नए-नए म्यूच्यूअल फण्ड में पैसा लगा लेते हैं और पुराने छोड़ देते हैं।
इस तरह लॉन्ग टर्म के हिसाब से सोचा जाये तो लॉन्ग टर्म के होने वाले बेनिफिट के हिसाब से ये करना सही नहीं है। बार-बार म्यूच्यूअल फण्ड सेल आउट करने से कैपिटल गेन्स टैक्स भी देना होता है। इस तरह करके आप ज्यादा रिटर्न नहीं ला पाते।
म्यूच्यूअल फंड्स के लौ एक्सपेंस रेश्यो में निवेश करना
एक्सपेंस रेश्यो म्यूच्यूअल फण्ड खरीदने में एक मुख्य कारक है। लेकिन सबकुछ लो एक्सपेंस रेश्यो के ऊपर डिपेंड है, ये सही नहीं है। कुछ इन्वेस्टर्स अपना पैसा लो एक्स्पेंस रेश्यो देखकर ही लगा देते हैं और सोचते हैं कि अब अच्छा मुनाफा होगा लेकिन ऐसा नहीं है।
किसी भी म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करने से पहले उसका पिछले रिकॉर्ड, फण्ड पोर्टफोलियो और मैनेजर का ट्रैक भी देखना होता है। अगर ये सब सही है तो लौ एक्सपेंस रेश्यो या थोड़ा हाई एक्सपेंस रेश्यो से इन्वेस्ट पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
म्यूच्यूअल फण्ड इन्वेस्टमेंट करने से पहले क्या देखें
म्यूच्यूअल फण्ड इन्वेस्टमेंट के लिए कुछ चीजें देखने की जरुरत है –
डिविडेंड या ग्रोथ प्लान
निवेशक जानकारों के हिसाब से डिविडेंड और ग्रोथ प्लान दोनों से ही मुनाफा होता है लेकिन डिविडेंड प्लान से अच्छा ग्रोथ प्लान है। ग्रोथ प्लान की तुलना में डिविडेंड प्लान चुनने से लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट में इन्वेस्टर्स की आय कम रहती है। क्योंकि निवेशक कम्पाउंडिंग इंट्रेस्ट उस पर नहीं ले पाता। इसलिए डिविडेंड से अच्छा ग्रोथ प्लान रहता है।
बेस्ट फण्ड का सलेक्शन
बेस्ट फण्ड का सलेक्शन एक स्किलफुल प्रिक्रिया है। इसलिए बेस्ट फण्ड का चुनाव करते वक़्त आपको फण्ड की पिछली हिस्ट्री उसका आज की ग्रोथ और उसका लॉन्ग टर्म प्रदर्शन के बारे में जानकारी होनी चाहिए। फण्ड के 5 से 10 वर्ष के प्रदर्शन पर नज़र होनी चाहिए।
म्यूच्यूअल फंड्स के पैसिव फण्ड पर भरोसा
इन्वेस्टर्स को पैसिव फण्ड पर ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए। पैसिव फण्ड को अच्छा माना जाता है क्योंकि वो सस्ते होते हैं, लेकिन पैसिव फण्ड खराब सूचकांक को इम्पोज करते हैं।
निष्कर्ष
उपर्युक्त म्यूच्यूअल फण्ड इन्वेस्टमेंट करने से पहले इन मिस्टेक्स न करें। इस तरह की मिस्टेक्स आपकी इन्वेस्टमेंट को बिगाड़ सकती है। म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्टमेंट दिनोदिन तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में आप उससे चुनने से पहले गलती करें तो उसका खामियाजा उसके कम रिटर्न के साथ उठाना पड़ता है, इसलिए बताये गए पॉइंट्स को ध्यान में रखकर ही इन्वेस्टमेंट करनी चाहिए।
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