Cibil Score या credit score या गुड क्रेडिट क्या है ?
क्रेडिट या सिबिल स्कोर कस्टमर का पिछले एक साल का डाटा होता है। अगर उसने किसी भी संस्था या बैंक से लोन लिया होता है जो उसे सही टाइम पर चुकाना होता है।
क्रेडिट या सिबिल स्कोर कस्टमर का पिछले एक साल का डाटा होता है। अगर उसने किसी भी संस्था या बैंक से लोन लिया होता है जो उसे सही टाइम पर चुकाना होता है।
अगर वो उसे सही टाइम पर चुका देता है तो उसका क्रेडिट या सिबिल स्कोर अच्छा होगा और अगर उसने ऐसा नहीं किया होगा तो उसका स्कोर अच्छा नहीं माना जयेगा।
अगर वो उसे सही टाइम पर चुका देता है तो उसका क्रेडिट या सिबिल स्कोर अच्छा होगा और अगर उसने ऐसा नहीं किया होगा तो उसका स्कोर अच्छा नहीं माना जयेगा।
क्रेडिट स्कोर कितना होना चाहिये ?
क्रेडिट स्कोर का स्टैण्डर्ड वैल्यू जो होती है वो 750 होती है। अगर कोई व्यक्ति को लोन लेना होता है तो उसके डाटा की क्रेडिट वैल्यू देखी जाती है।
क्रेडिट स्कोर का स्टैण्डर्ड वैल्यू जो होती है वो 750 होती है। अगर कोई व्यक्ति को लोन लेना होता है तो उसके डाटा की क्रेडिट वैल्यू देखी जाती है।
क्रेडिट वैल्यू 750 से कम होती है तो उसका सिबिल स्कोर कम माना जाता है ऐसे में उसे लोन मिलना मुश्किल रहता है जबकि अगर क्रेडिट वैल्यू 750 से अधिक होती है तो उसे लोन मिलना आसान होता है।
क्रेडिट वैल्यू 750 से कम होती है तो उसका सिबिल स्कोर कम माना जाता है ऐसे में उसे लोन मिलना मुश्किल रहता है जबकि अगर क्रेडिट वैल्यू 750 से अधिक होती है तो उसे लोन मिलना आसान होता है।
क्रेडिट स्कोर का निर्धारण 30% सिबिल स्कोर बनता है। सिक्योर्ड या अनसिक्योर्ड लोन पर 25%, क्रेडिट एक्सपोजर पर 25% और कर्ज के इस्तेमाल पर 20% सिबिल स्कोर बनता है।
क्रेडिट स्कोर का निर्धारण 30% सिबिल स्कोर बनता है। सिक्योर्ड या अनसिक्योर्ड लोन पर 25%, क्रेडिट एक्सपोजर पर 25% और कर्ज के इस्तेमाल पर 20% सिबिल स्कोर बनता है।